वेन्टीलेटर(ventilator)
Ventilator पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है।जिसमें आज 6 करोड़ से भी अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ गये है।25 लाख से भी अधिक लोगो की जान जा चुकी है।सभी देशो ने अपनी अपनी तरफ से कोशिश की लेकिन किसी देशो को इस बीमारी से निजात नही मिल सका।कई देशो ने वैक्सीन बनाई लेकिन वह वैक्सीन कारगर साबित नही हो रहा।
जहाँ जहाँ कोरोना संकट आया है,वहा पर संक्रमित लोग रोजाना मिल रहे है।लोग हजारो की संख्या में मारे जा रहे है।हर देश की सरकारे अपने देश के नागरिको को बचाने की हर संभव मदद कर रहे है।इन सब के बीच हर जगह एक शब्द बहुत सुनने को मिल रहा है।जिसे वेंटिलेटर कहाँ जाताहै।यह शब्द पहले भी सुनने को भी मिलता था।लेकिन इन दिनो कोरोना वायरस से सांस में होने वाले दिक्कत के मरीज ज्यादा बढ़ गए है जिनके लिए वेन्टीलेटर ही आखरी रास्ता रहता है।वेन्टीलेटर को जीवन रक्षक कहाँ जाता है।
वेन्टीलेटर की खोज:-
वेन्टीलेटर की खोज अलग -अलग स्तरो पर की गई।मरीज को कृत्रिम सांस देने के लिए सबसे पहले शुरूआत 18वी शताब्दी के बीच की गई।इसमे एक स्वस्थ व्यक्ति जो मरीज व्यक्ति है।उसे एक नली की सहायता से सांस देता था।यह प्रक्रिया उतनी उचित नही थी।इसे पाजटिव प्रेशर वेन्टीलेटर का नाम दिया गया।जिसके बाद 19वी शताब्दी के बीच में स्काटलैंड के एक डाक्टर ने एक वायुरोधी डब्बा बनाया जिसमे वायु को रोककर जिसे निगेटिव प्रेशर वेन्टीलेटर कहा गया।जिसमे मरीज के मुह अंदर हवा न देकर मरीज के बाहर से हवा शरीर तक पहुँचाई जाती थी।इसी प्रकार वेनिस के एक डाक्टर ने भी एक बंद डिब्बे की मदद से वायु को शरीर तक पहुंचाने का कार्य किया जो ताजी वायु को शरीर के लंग मे पहुंचाती थी।जिससे मरीजो को आराम मिलता था।20वी शताब्दी के बीच एक पुल मोटर का भी अविष्कार किया गया।यह मशीन पाजीटीव प्रेशर वेन्टीलेटर की तरह कार्य करती थी।जो एक ट्रांसपोर्टेशन के सिध्दांत पर कार्य करती थी।जिसमे मास्क की सहायता से आक्सीजन दिया जाता था।आधुनिक समय में मास्क हटाकर एक पाइप के जरिये मरीजो को आक्सीजन दिया जाने लगा जो आज भी उपयोग में लाया जाता है।
वेन्टीलेटर का इस्तेमाल कब किया जाता है-
वेन्टीलेटर मरीजो को अंतिम सहारा होता है जिसमे जब मरीजो को सांस लेने मे दिक्कत होती हो तब कृत्रिम आक्सीजन बना कर मरीज के श्वसन नली में पहुंचाया जाता है।मरीजो के लंग में दवाई और उनके फेफड़े में जमे कफ को बाहर निकालने मे किया जाता है।
कोरोना वायरस में वेन्टीलेटर कि जरूरत-
कोरोना वायरस में सम्भवत वेन्टीलेटर की आवश्यकता कम होती है।लेकिन 100%मरीजो में से लगभग 13% मरीजो को वेन्टीलेटर की जरूरत पड़ रही रही है।क्योकि कोरोना वायरस सिधे मरीजो के फेफडो पर असर करता है।जो काफी घातक साबित कर सकता है।जो लोगो के शरीर में आक्सीजन को कम कर देता है।जिससे मरीजो को तकलीफ बढते जा रही है।वैसे तो मरीजो को आक्सीजन सिलेंडर से भी आक्सीजन दी जा रही है लेकिन कुछ मरीजो में ऐसा देखा जा रहा है की वो आक्सीजन सिलेंडर की आक्सीजन को लेना पसंद नही कर रहे रहे वो आक्सीजन की नली या मास्क को बार बार फेक रहे है।शायद उससे दम भी घुटता होगा।आधा से ज्यादा मरीजो मे यही देखा जा रहा है खासकर भारत में मेरे बडे भाई भी करोना वायरस के चपेट में आ गये थे।उनका भी इलाज चला कुछ दिनो तक जिसके बाद उनका आक्सीजन लेवल कम होने लगा।हमने उनको आक्सीजन सिलेंडर लगवाया लेकिन वो आक्सीजन मास्क निकाल कर बार बार फेक दे रहे थे जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ने लगी।हमको डाक्टर ने कहा की इनको वेन्टीलेटर की जरूरत है लेकिन उस हास्पिटल में वेन्टीलेटर नही मिला शहर के दूसरे हास्पिटल मे लेकर गये लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
वेन्टीलेटर की किमत –
सरकारी हास्पिटल में आपको 4000-10000 का खर्चा आ जाएगा।लेकिन प्राइवेट हास्पिटल में इसकी कीमत बढ जाती है।लगभग 40000-100000 तक।
इसलिए आप लोग घर में रहो सुरक्षित रहो इसी में आपकी सुरक्षा है।
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