Solar device
विभिन्न प्रकार की वे युक्तियां जिनका उपयोग सौर ऊर्जा दहन में किया जाता है।ऐसी युक्तिया सौर ऊर्जा युक्तियां कहलाती है।उदाहरण सोलर हीटर,सोलर संकेन्द्रक,सोलर कुकर तथा सोलर सेल इत्यादि।
सौर तापन युक्ति(solar heating device)
वे उपकरण जिनमें सौर ऊर्जा उष्मा ऊर्जा के रूप में एकत्रित की जाती है।सौर तापन युक्तियां कहते है।इनका निर्माण इस प्रकार किया जाता है।कि ये सभी स्थितियों में सौर ऊर्जा को एकत्रित कर सके।
इसका उपयोग निम्न प्रकार से करते है-
(i)काले रंग की सतह –श्वेत पृष्ठ की तुलना में काला पृष्ठ अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है।इसलिए सोलर तापन युक्तियों की कार्य विधी में इसी गुण का उपयोग किया जाता है।
(ii)कांच की ढक्कन- जब इस सौर तापन युक्ति को कुछ समय के लिए सुर्य के प्रकाश में रखा जाता है।तो उसके ऊपर लगा कांच का ढक्कन,सुर्य के प्रकाश में उपस्थित दृश्य तथा अवरक्त किरणों को ही अंदर प्रवेश करने देता है।सौर तापन युक्ति के अंदर काले रंग की सतह इन अवरक्त किरणों को अवशोषित करके गर्म हो जाती है।जब काले रंग की सतह गर्म हो जाती है।तो वह भी अवरक्त किरणों के रूप में ऊष्मा का उत्सर्जन करने लगती है।परन्तु बक्से में लगा कांच का ढक्कन इन अवरक्त किरणों को बक्से से बाहर नही जाने देता।अतः बक्से के अंदर की ऊष्मा अंदर ही रह जाती है।इस प्रकार सुर्य की अवरक्त किरणें कांच के ढक्कन में से होकर सौर तापन युक्ति के अंदर प्रवेश तो कर सकती है।परन्तु उसमें से बाहर नही निकल सकती है।
(iii)परावर्तक का उपयोग – सौर तापन युक्ति की दक्षता बढाने के लिए उसमें एक परावर्तक तल लगा दिये जाते है।इसके लिऐ समतल दर्पण को परावर्तक के रूप में प्रयुक्त करते है।इस परावर्तक का उपयोग सौर ऊर्जा संग्रहण के क्षेत्र को बढाने के लिए किया जाता जाता है।इस कारण अधिक-से-अधिक ऊष्मीय किरणें,सौर तापन युक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती है।जिन सौर युक्तियोंमें ताप अधिक उत्पन्न करना होता है।तब उनमें गोलीय परावर्तक लगाते है।इस कार्य के लिए अवतल परावर्तक तथा परवलयिक परावर्तक प्रयुक्त करते है।
सौलर संकेन्द्रक (solar concentrators)
कुछ उपकरणों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है।कि वे सूर्य की ऊर्जा को विशाल क्षेत्र से कम क्षेत्र में संकेन्द्रित कर सके।सोलर तापन युक्तियों के अनेक प्रकार सोलर संकेन्द्रक कहलाते है।इसमें मुख्यतः गोलीय परावर्तक का उपयोग किया जाता है।
सोलर शक्ति संयंत्र (solar power plant)
इस प्रकार के सोलर संकेन्द्रक का उपयोग विधुत उत्पादन में किया जाता है।सबसे पहले बॉयलर में सोलर संकेन्द्रक द्वारा सोलर ऊर्जा का परावर्तन ऊष्मा जल के रूप में होता है।तब प्राप्त भाप का उपयोग जनित्र द्वारा टारबाइन को घुमाकर विधुत उत्पादन में किया जाता है।
सोलर कुकर (solar Coker)
यह एक ऐसी युक्ति है।जिसमें सौर ऊर्जा का उपयोग करके भोजन को पकाया जाता है।इसलिए इसे सौर चुल्हा भी कहा जाता है।सामान्यत यह एक लकड़ी की बाक्स की बनी होती है।जिसे बाहरी बक्सा(external box) भी कहते है।इस लकड़ी के बाक्स के अंदर लोहे अथवा एल्युमीनियम की चादर का बना एक और बाक्स होता है।जिसे भितरी(internal box) कहते है।भितरी बाक्स के अंदर काला रंग इसलिए किया जाता है।जिससे कि सौर ऊर्जा का अधिक-से-अधिक अवशोषण हो तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा की कम से कम हानि हो।
सोलर कुकर के बाक्स के ऊपर एक लकड़ी के फ्रेम में मोटे कांच का एक ढक्कन लगा होता है।जिसे आवश्यकतानुसार खोला तथा बंद किया जा सकता है।सौर कुकर के बाक्स में एक समतल दर्पण भी लगा होता है।जोकि परावर्तक तल का कार्य करता है।
कार्य विधी (working) – सर्वप्रथम पकाए जाने वाले भोजन को स्टील अथवा एल्युमीनियम के बर्तन में डालकर जिसकी बाहरी सतह काली पुती हो,सोलर कुकर के अंदर रख देते है।तथा ऊपर के शीशे के ढक्कन को बंद कर देते है।समतल दर्पण को खड़ा करके सोलर कुकर को भोजन पकाने के लिए धूप में रख देते है।जब सूर्य के प्रकाश की किरणें परावर्तक तल पर गिरती है।तो परावर्तक तल उन्हे तीव्र प्रकाश किरण पुंज के रूप में सोलर कुकर के ऊपर डालता है।
सूर्य की ये किरणें कांच के ढक्कन में से गुजरकर सोलर कुकर के बाक्स में प्रवेश कर जाती है।तथा कुकर के अंदर की काली सतह अवशोषित कर ली जाती है।चूकी सूर्य की किरणों का लगभग एक तिहाई भाग ऊष्मीय प्रभाव वाली अवरक्त किरणों का होता है।अतः जब ये किरणें कुकर के बाक्स में प्रवेश कर जाती है।तो कांच का ढक्कन इन्हें वापस बाहर नही आने देता।इस प्रकार सूर्य की ओर अधिक अवरक्त किरणें धीरें-धीरें कुकर के बाक्स में प्रवेश करती जाती है।जिनके कारण सोलर कुकर के अंदर का ताप बढता जाता है।लगभग दो अथवा तीन घंटे में सोलर कुकर के अंदर का ताप 100°c से 140°c के बीच हो जाता है।यही ऊष्मा सोलर कुकर के अंदर बर्तन में रखे भोजन को पका देती है।
सोलर सेल (solar cell)
इस उपकरण में सौर ऊर्जा सीधे विधुत ऊर्जा में बदलती है।ये सेले अर्धचालक पदार्थ सिलिकॉन,गैलियम,जर्मेनियम से बनी होती है।सोलर सेल को प्रकाश वोल्टीय सेल भी कहते है।इन पदार्थो से बनी सोलर सेल की क्षमता 10% से 15% होती है।अथार्थ ये 10% से 15% सौर ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तन कर देते है।सेलिनियम से बनी आधुनिक सौर सेलो की दक्षता 25% तक होती है।सौर सेलो के साथ संबध्द प्रमुख लाभ यह है कीइनमें कोई भी गतिमान पुर्जा नही होता है।इनका रखरखाव सस्ता होता है।तथा ये बिना किसी फोकसन युक्ति के काफि संतोषजनक कार्य करते है।इनका एक अन्य लाभ यह है कि इन्हे सुदूर तथा दूर्गम स्थानो में प्रतिस्थापित किया जाता है।
उपयोग –
● इनका उपयोग कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्षयानो में विधुत उपलब्ध करने के लिए किया जाता है।
● इनका उपयोग स्ट्रीट लाइटो,ट्राफिक सिग्नलों,सिचाई के लिए जलपंपो को चलाने आदि में किया जाता है।
● इनका उपयोग समुद्र में स्थित दिव्प स्तम्भो को विधुत प्रदान करने के लिए किया जाता है।
● इनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों तथा कैलकुलेटरो को चलाने में किया जाता है।
●इनका उपयोग रेडियो तथा सुदूर क्षेत्रो के दूरदर्शन प्रसारण केंद्रो में सौर सेल पैनल उपयोग किया जाता है।
सोलर पैनल (Solar panel)
जब सोलर सेलो को एक-दूसरे के साथ एक के बाद एक करके जोड़ा जाता है।तब अवांछित विभवांतर तथा अनुकूल दक्षता की विधुत धारा उत्पन्न होती है।सोलर सेलों के इस समूह संयोजन को ही सोलर पैनल कहते है।
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